
हरियाणा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की एंट्री से आम आदमी पार्टी को बल मिला है। जेल से रिहा होने के बाद केजरीवाल हरियाणा में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगे। केजरीवाल के चुनावी रण में उतरने से कांग्रेस को नुकसान और भाजपा को फायदा हो सकता है। वहीं केजरीवाल एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्दे पर स्पष्ट नहीं हैं।
चंडीगढ़। दिल्ली के शराब नीति केस में जमानत पर बाहर आए आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को हरियाणा के चुनाव में राजनीति का सजा-सजाया मंच मिल गया है।कुछ दिन आराम करने के बाद अरविंद केजरीवाल हरियाणा के चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में चुनाव प्रचार करते नजर आएंगे।
केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद जहां आम आदमी पार्टी को चुनावी रण में थोड़ी ताकत मिल सकती है। वहीं उनका प्रचार राजनीतिक रूप से कांग्रेस के लिए नुकसानदायक और सत्तारूढ़ भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
आप-कांग्रेस गठजोड़ न होने से भाजपा को फायदा
कांग्रेस के साथ गठबंधन की बातचीत चलाने वाली आम आदमी पार्टी ने उसके फैसले का इंतजार किए बिना ही अपनी तरफ से गठजोड़ तोड़ दिया था, जिसका फायदा भी भाजपा को ही मिलने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की स्थिति में जिस वोट बैंक का नुकसान भाजपा को होता, वह अब इन दोनों दलों में बंटने की स्थिति बन चुकी है।
आप के स्टार प्रचारक हैं केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम आम आदमी पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में सबसे ऊपर है। केजरीवाल जब जेल में थे, तब उनकी धर्मपत्नी सुनीता केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा में मोर्चा संभाले रखा। राज्यसभा सदस्य डॉ. संदीप पाठक और
विधानसभा चुनाव से पहले ही आम आदमी पार्टी प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर रैलियां कर चुकी है लेकिन यह रैलियां अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में हुई हैं। इन रैलियों में सुनीता केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, भगवंत मान, संदीप पाठक और संजय सिंह ने कार्यकर्ताओं को जोड़ने की पूरी कोशिश की है।
आप ने नहीं किया कांग्रेस के फैसले का इंतजार
केजरीवाल के चुनावी रण में नहीं होने की वजह से यह नेता अपने कार्यकर्ताओं के बीच वह करेंट नहीं बना पाए, जिसे बनाने की महारथ केजरीवाल में है। आप के रणनीतिकारों का मानना है कि यदि केजरीवाल जेल से बाहर होते तो कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी का गठबंधन तय था
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता, संजय सिंह और संदीप पाठक ने कांग्रेस के फैसले का इंतजार किए बिना ही अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर इस संभावित गठबंधन की भ्रूण हत्या कर दी।
गठबंधन होता तो भाजपा को होता नुकसान
कांग्रेस और आप के बीच यदि गठबंधन हो जाता तो इसका नुकसान पूरी तरह से भाजपा को होता। गठबंधन नहीं होने के कारण अब आम आदमी पार्टी न केवल कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने का काम करेगी, बल्कि भाजपा की राह को भी आसान बनाने में मददगार साबित हो सकती है।
एसवाईएल नहर के मुद्दे पर स्पष्ट नहीं हैं केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल हरियाणा और पंजाब के बीच बरसों पुराने एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्दे पर पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं। पंजाब में वह पंजाब के हितों की बात करते हैं और हरियाणा में स्वयं को हरियाणा का बेटा बताते हुए यहां के लोगों की पानी की जरूरत को स्वीकार करते हैं, लेकिन यह कभी स्पष्ट नहीं करते कि आम आदमी पार्टी की पजंबा सरकार हरियाणा के लोगों को उनके हिस्से का पानी देगी या नहीं देगी।
केजरीवाल की धर्मपत्नी सुनीता केजरीवाल और भगवंत मान ने हालांकि राज्य में रैलियों के दौरान एसवाईएल का पानी नहीं मिलने के लिए केंद्र व राज्य की भाजपा सरकारों को दोषी ठहराया है, लेकिन वह आम आदमी पार्टी का स्टैंड स्पष्ट नहीं कर पाए हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा ही हुआ था। केजरीवाल हिसार जिले के सिवानी मंडी के रहने वाले हैं।
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