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हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए एक तरफ जहां भाजपा-कांग्रेस और आम आदमी पार्टी लगातार अपने उम्मीदवारों का एलान कर रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ चौधरी देवीलाल का परिवार आपस में ही उलझा नजर आ रहा है। चौटाला परिवार में फूट का असर ये है कि रानियां विधानसभा में दादा-पोता तो डबवाली विधानसभा में चाचा-भतीजा एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में नजर आ रहे हैं।

सिरसा में देश और हरियाणा की राजनीति में पहचान रखने वाला चौधरी देवीलाल का परिवार एक बार फिर से चुनावी रण में आपस में उलझ गया है। मंगलवार को डबवाली में आदित्य चौटाला ने नामांकन दाखिल करवाया। इस मौके पर अजय सिंह चौटाला ने कहा कि डबवाली उनका गृह क्षेत्र रहा है और यहां की जनता ने हमेशा प्यार और स्नेह दिया है, जो इस बार भी मिलेगा।

उन्होंने कहा कि पूर्व कैबिनेट मंत्री चौधरी रणजीत चौटाला के समर्थन से जजपा को यहां नई ताकत मिलेगी। जजपा और एएसपी गठबंधन रानियां विधानसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार चौधरी रणजीत सिंह का भी समर्थन कर उन्हें विजयी बनाएगी।

रानियां में दादा-पोता तो डबवाली में चाचा-भतीजा

आजाद प्रत्याशी चाचा रणजीत सिंह को घेरने के लिए रानियां सीट पर अबकी बार इनेलो नेता अभय चौटाला ने अपने बेटे अर्जुन चौटाला को उतारा। साथ ही आदित्य चौटाला को भाजपा से इनेलो में शामिल करवाकर अपनी पार्टी को मजबूत किया।

लेकिन अब जजपा नेता अजय चौटाला ने इसका तोड़ निकालते हुए रानियां में अपने चाचा रणजीत सिंह चौटाला को समर्थन दे दिया। जबकि रणजीत सिंह चौटाला ने जजपा के प्रत्याशी और अपने पोते दिग्विजय चौटाला का डबवाली में समर्थन किया है। दिग्विजय के सामने चाचा आदित्य चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में इन दोनों ही सीटों पर चुनावी मुकाबला रोचक होगा।

भाजपा ने रणजीत और आदित्य की काट दी थी टिकट

वर्ष 2019 के चुनाव से पहले इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला का परिवार इनेलो-जजपा में बंट गया। इनेलो की बागडोर छोटे बेटे अभय सिंह के हाथों में आई तो बड़े बेटे अजय सिंह ने जननायक जनता पार्टी का गठन कर लिया था। जबकि चौधरी देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह चौटाला ने कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी।

ओमप्रकाश चौटाला के भाई जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला ने 2019 का चुनाव भाजपा की टिकट पर डबवाली विधानसभा से लड़ा था। रणजीत लोकसभा चुनाव भाजपा की टिकट पर हिसार से लड़े और हार गए। अब विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दोनों को ही टिकट नहीं दी। आदित्य इनेलो में चले गए, तो वहीं अजय चौटाला और रणजीत चौटाला एक हो गए हैं।

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