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ओखला लैंडफिल साइट पर दिसंबर तक कूड़े के पहाड़ को खत्म करने का लक्ष्य है। उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री ने बायोमाइनिंग से प्राप्त भूमि पर बांस के पौधे लगाए। दिल्ली में 1.78 लाख बांस के पौधे लगाए गए हैं जो ऑक्सीजन उत्सर्जन में मदद करेंगे। सरकार वेस्ट-टू-एनर्जी संयंत्रों की क्षमता बढ़ाकर कचरा निस्तारण क्षमता को 15000 टन प्रतिदिन करने की योजना बना रही है।

दक्षिणी दिल्ली। ओखला लैंडफिल साइट पर इस साल दिसंबर माह तक कूड़े के पहाड़ को खत्म कर दिया जाएगा। इसे पूरी तरह समतल कर दिया जाएगा। इससे आसपास रहने वाले लाखों लोगों को बदबू और प्रदूषण से राहत मिलेगी।

इस कड़ी में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को साइट पर कचरे की बायोमाइनिंग से प्राप्त हुई भूमि पर आठ हजार बांस की पौध का रोपण किया गया।

इनमें बांस की दो किस्म बंबुसा टुल्डा एवं बंबुसा पोलीमार्पा शामिल हैं। महापौर राजा इकबाल सिंह, दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और दक्षिण दिल्ली के सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने भी पौध रोपण किया।

उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा कि दिल्ली में पिछले 3 वर्षों में 170000 बांस के पौधे लगाए गए हैं और आज के 8000 पौधे मिलकर यह संख्या 178000 हो गई। बांस का पौधा 30 प्रतिशत तक अधिक ऑक्सीजन का उत्सर्जन करता है।

उपराज्यपाल ने कहा कि ओखला लैंडफिल साइट पर इस वर्ष दिसंबर तक कचरे का निस्तारण कर जमीन को समतल कर दिया जाएगा। हालांकि उन्होंने संबंधित एजेंसी ने दो महीने में काम पूरा करने का अनुरोध किया। दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइट पर औसत 25000 टन कूड़े का निस्तारण प्रतिदिन हो रहा है।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि ओखला लैंडफिल साइट पर 60 लाख मीट्रिक टन कूड़े का पहाड़ आज 28 लाख मीट्रिक टन रह गया है। दिल्ली सरकार दो नए वेस्ट टू एनर्जी संयंत्र एवं मौजूदा दो संयंत्रों की क्षमता बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रही है ताकि कूड़ा निस्तारण की क्षमता 15000 टन प्रतिदिन किया जा सके।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में 11 डेयरी कालोनियों है और उनमें एक भी बायोगैस संयंत्र नहीं था। आज इन सभी कालोनियों में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। दिल्ली वालों को बेहतर हवा देने के लिए हर वार्ड में एक हजार वॉटर स्प्रिंकलर को वर्षभर चलाया जाएगा।

70 अत्याधुनिक मैकेनिकल रोड स्विपिंग मशीन हर विधानसभा में दी जाएगी। महापौर राजा इकबाल सिंह ने कहा कि यह कूड़े के पहाड़ अब कुछ दिनों की बात हैं और जल्द ही यहां हरियाली नजर आएगी। साइट पर लेमन ग्रास एवं खस (वेटिवर) के भी आठ हजार पौधे बांस के पौधों के बीच में लगाए जाएंगे ताकि इनकी जड़ें मिट्टी को अच्छी तरह से बांध कर रखें।

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