
देश की शीर्ष अदालत ने गुरुद्वारे को वक्फ संपत्ति बताने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। वक्फ बोर्ड ने अदालत में याचिका दाखिल कर मांग की थी कि जिस जमीन पर गुरुद्वारा बना हुआ है वह वक्फ की संपत्ति है और आजादी से पहले वहां मस्जिद थी।
नई दिल्ली। दिल्ली के शाहदरा स्थित एक गुरुद्वारे की जमीन को वक्फ भूमि बताते हुए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई। दिल्ली वक्फ बोर्ड का दावा था कि शाहदरा में जिस जमीन पर गुरुद्वारा बना हुआ है, वह वक्फ की जमीन है और आजादी से पहले वहां एक मस्जिद थी।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि गुरुद्वारा कई दशकों से वहां पर है, इसलिए वक्फ बोर्ड को पीछे हट जाना चाहिए। इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया था।
शाहदरा इलाके में स्थित है गुरुद्वारा
ये पूरा मामला शाहदरा स्थित गुरुद्वारे की जमीन से जुड़ा है। इसे वक्फ की संपत्ति बताते हुए दिल्ली वक्फ बोर्ड ने वहां मस्जिद होने का दावा किया था। बोर्ड की तरफ से पेश हुए वकील संजय घोष ने कहा कि निचली अदालतों में मस्जिद होने के दावे को स्वीकार किया था।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि जब गुरुद्वारा वहां अच्छी तरह संचालित हो रहा है, तो उसे रहने दें। एक धार्मिक संरचना पहले से चल रही है, इसलिए वक्फ बोर्ड को खुद पीछे हट जाना चाहिए। जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि आपको खुद ही दावे को छोड़ देना चाहिए।
2010 में वक्फ बोर्ड की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी खारिज कर दिया था, जिसके बाद बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में कहा गया था कि वहां मस्जिद तकिया बब्बर शाह स्थित थी और जमीन वक्फ को दी गई थी। हालांकि प्रतिवादी का तर्क था कि संपत्ति वक्फ की नहीं रह गई, क्योंकि उसके तत्कालीन मालिक मोहम्मद अहसान ने इसे 1953 में बेच दिया था।
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