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बरेली समाचार
समाजवादी पार्टी की पीडीए की मुहिम के बीच दिग्गज कांग्रेस नेता और बरेली कैंट विधानसभा सीट से कांग्रेस-सपा गठबंधन के पूर्व प्रत्याशी नवाब मुजाहिद हसन खां ने अपने मिजाज के ही मुताबिक नवाबी एंट्री मारी है। नवाब मुजाहिद ने दो दिन पूर्व अचानक से एक सम्मान समारोह का आयोजन कर समाजवादी पार्टी के नेताओं की धड़कनें बढ़ा दी हैं। नवाब मुजाहिद ने इस सम्मान समारोह के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास किया है कि वह भी कैंट की रियासत के हकदार हैं।
दरअसल, नवाब मुजाहिद हसन खां ने यूं तो सिर्फ बुजुर्ग कांग्रेसियों के सम्मान समारोह का आयोजन किया था। समारोह में सिर्फ सौ से डेढ़ सौ लोगों के आने का अनुमान था। लेकिन जैसे ही समाराेह शुरू हुआ तो लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। बुजुर्गों से ज्यादा युवा इस सम्मेलन में पहुंच गए। आनन-फानन में और कुर्सियों का इंतजाम किया गया। फिर जिला अध्यक्ष अशफाक सकलैनी ने भरी सभा में ऐलान कर दिया कि आगामी विधानसभा चुनाव हम नवाब साहब की सरपरस्ती में ही लड़ेंगे। इसके बाद से सपा नेताओं में हड़कंप मचा हुआ है। ऐसे वक्त जब सपा के कैंट विधानसभा प्रभारी अनुराग सिंह पटेल एपी लॉन में पीडीए सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे तो उसी वक्त नवाब मुजाहिद अपनी कोठी में उसी पीडीए के लोगों के साथ सम्मान समारोह का आयोजन कर शक्ति प्रदर्शन कर रहे थे।
बरेली की सियासत में नवाब मुजाहिद हसन आज भी उतने ही अहम हैं जितने कि पहले हुआ करते थे। इस सम्मान समारोह ने उन नेताओं को जवाब भी दे दिया जो नवाब मुजाहिद की खामोशी को उनकी कमजोरी समझ रहे थे। नवाब मुजाहिद की एंट्री सपा नेताओं के लिए इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि जिन मुस्लिम वोटर्स के भरोसे वो कैंट जीतने का सपना देख रहे हैं उन मुस्लिम वोटर्स के बीच नवाब मुजाहिद हसन भी गहरी पैठ रखते हैं। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जब नवाब मुजाहिज कांग्रेस-सपा गठबंधन के प्रत्याशी बनाए गए थे तो उन्होंने मुस्लिम वोटर्स के बीच अपनी पैठ को साबित भी किया था। अब एक बार फिर नवाब मुजाहिद ने अपनी ताकत का एक छोटा सा नमूना दिखाया है। कैंट विधानसभा सीट में पड़ने वाले पुराना शहर में नवाब मुजाहिद के चाहने वालों की कोई कमी नहीं है। हालांकि, सपा नेता डॉक्टर अनीस बेग उनके किले में सेंध लगाकर कुछ लोगों को अपने पक्ष में लाने में कामयाब भी हो चुके हैं लेकिन नवाब मुजाहिद हसन की सक्रियता के बाद उनके बाकी समर्थकों को तोड़ना आसान नहीं होगा।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा का गठबंधन होता है तो कांग्रेस कैंट और शहर सीट पर दावा जता सकती है। लेकिन अगर गठबंधन नहीं होता है तो कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर नवाब मुजाहिद हसन खां मैदान में उतर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो मुस्लिम वोटों का बंटवारा बड़े पैमाने पर होना तय है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। नवाब मुजाहिद पिछले चुनाव में भी कैंट विधानसभा सीट से लड़ना चाहते थे लेकिन उनकी राह में उस वक्त तत्कालीन कांग्रेस नेता सुप्रिया ऐरन आ गई थीं जो चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हो गईं। उपेक्षा से आहत नवाब मुजाहिद ने उस वक्त चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था और कांग्रेस को मजबूरी में हाजी इस्लाम बब्बू को मैदान में उतारना पड़ा था।

बब्बू अपनी जमानत तक नहीं बचा सके थे। उस चुनाव में सपा प्रत्याशी सुप्रिया ऐरन को हार का सामना करना पड़ा था। अब सुप्रिया और उनके पति सपा में शामिल हो चुके हैं। नवाब मुजाहिद का रास्ता साफ है और सपा के लिए यही सबसे बड़ी मुश्किल भी है।
बहरहाल, मुजाहिद हसब खां ने नवाबी दांव खेलकर सपाइयों की धुकधुकी बढ़ा दी है। अभी तो सिर्फ शुरुआत है, आगे-आगे देखिये, होता है क्या?

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