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बरेली समाचार

बरेली: अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस पर साहित्यिक संस्था-कवि गोष्ठी आयोजन समिति, बरेली द्वारा एक भव्य काव्य संध्या एवं सम्मान कार्यक्रम का आयोजन समाजसेवी गांधी मोहन सक्सेना के संयोजन में स्थानीय इंदिरा नगर में  किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता  साहित्यकार रणधीर प्रसाद गौड़ 'धीर' ने की। मुख्य अतिथि  शायर विनय सागर जायसवाल एवं विशिष्ट अतिथि लोकप्रिय चित्रकार कुलदीप वर्मा रहे। 
माॅं शारदे के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
मातृ  दिवस के अवसर पर किए गए इस कार्यक्रम में संस्था द्वारा पूर्व प्रधानाचार्या श्रीमती शकुंतला सिन्हा को उनके प्रेम, त्याग एवं मार्गदर्शन के लिए पटका एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया एवं संस्था के सचिव उपमेंद्र सक्सेना को संस्कार भारती, बरेली का महानगर अध्यक्ष  बनाए जाने पर उपस्थित कवियों ने  माल्यार्पण कर उन्हें बधाई दी।

कवि बृजेंद्र तिवारी अकिंचन ने मातृ दिवस पर अपनी रचना इस प्रकार प्रस्तुत की-
चूल्हे की रोटी जब खायी बहुत दिनों के बाद 
मुझको रह रह रहकर आई अम्मा तेरी याद।
  गीतकार उपमेंद्र सक्सेना ने माॅं के सम्मान में अपना गीत इस प्रकार प्रस्तुत किया -
माॅं से सुंदर शब्द न कोई, माॅं ही जग में सबसे न्यारी 
मर्म दर्द का माॅं ही जाने, बाकी सब है दुनियादारी।
हास्य व्यंग्यकार दीपक मुखर्जी दीप ने अपना व्यंग्य इस प्रकार प्रस्तुत किया -
कब परिंदे बाज बन गए  पता ही नहीं चला 
कब किसने मुझे छला पता ही नहीं चला।
  सरस काव्य संध्या में नगर के प्रमुख कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से  माताओं की महिमा का गुणगान करते हुए उनके त्याग, बलिदान और प्रेम को बखूबी दर्शाया।
  इस अवसर पर अशोक कुमार सक्सेना, डॉ. अखिलेश गुप्ता, रामकुमार अफरोज, उमेश अद्भुत, राज शुक्ल ग़ज़ल राज, बृजेंद्र अकिंचन, दीपक मुखर्जी दीप, राम कुमार कोली, कुमकुम सक्सेना,राम शंकर प्रेमी, राजेश शर्मा ककरेली, नरेश कुमार सक्सेना, रजत कुमार एवं रीतेश साहनी आदि उपस्थित रहे। संचालन मनोज दीक्षित टिंकू  ने किया।

 

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