
अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित सभी मूर्तियां मकराना के सफेद संगमरमर से बनी हैं जिन्हें जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय और उनके परिवार ने बनाया है। इन मूर्तियों में राम दरबार सप्तर्षि और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं शामिल हैं जिनका वजन 200 किलोग्राम से लेकर दो टन तक है। पांडेय परिवार को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित किया गया है।
अयोध्या। रामजन्मभूमि परिसर के सात पूरक मंदिरों में विराजित विभिन्न देवों की प्रतिमाएं और राम दरबार की सभी प्रतिमाओं का निर्माण श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सफेद संगमरमर के मकराना पत्थरों से कराया है।
शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग के अलावा अन्य सभी प्रतिमाओं का निर्माण जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय व उनके स्वजनों ने किया है। इन प्रतिमाओं का आकार-प्रकार अलग-अलग है।
कोई प्रतिमा 400 तो कोई 500 किग्रा. तक की है। सप्तर्षियों की प्रतिमाएं भी 200 से 300 किग्रा तक वजनी हैं। वहीं राम दरबार का समग्र वजन लगभग दो टन है
प्रख्यात मूर्तिकार सत्यनारायण पांडेय के पुत्र प्रशांत पांडेय ने ‘दैनिक जागरण’ को बताया कि उनके पिता, चाचा पुष्पेंद्र पांडेय व उनके नेतृत्व में प्रतिमाओं का निर्माण लगभग 25 कारीगरों की टीम ने किया है।
लगभग दस महीने में इन प्रतिमाओं का निर्माण संभव हो सका है। रामकाज में उनके परिवार को भी अवसर मिला, इस अविस्मरणीय क्षण को उनका परिवार आजीवन नहीं भुला सकेगा।
सामूहिक प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर ट्रस्ट की ओर से पांडेय परिवार को भी आमंत्रित किया गया है। इसी परिवार ने देश के विभिन्न प्रसिद्ध मंदिरों की प्रतिमाओं का भी निर्माण किया है।
प्रशांत ने बताया कि रामजन्मभूमि परिसर के परकोटे के मध्य निर्मित देवी-देवताओं के मंदिरों में स्थापित प्रतिमाओं की ऊंचाई अलग-अलग है। सभी प्रतिमाएं खड़ी मुद्रा में हैं। भगवान सूर्यदेव, भगवान गणेश, हनुमान जी व मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा साढ़े तीन फीट ऊंची है तो मां दुर्गा की प्रतिमा की ऊंचाई पांच फट है।
शेषावतार मंदिर में स्थापित वनवासी लक्ष्मण जी की प्रतिमा साढ़े चार फीट ऊंची है। शिव मंदिर में नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित किया गया है, इसे गत वर्ष ही लाया गया था।
वहीं, राम दरबार में भगवान राम व माता जानकी की प्रतिमा पांच फीट, भरत व हनुमान जी की तीन फीट और लक्ष्मण व शत्रुघ्न की प्रतिमा साढ़े चार फीट ऊंची है। राम-सीता व भरत-हनुमान जी की प्रतिमा बैठी मुद्रा में है तो लक्ष्मण व शत्रुघ्न खड़े मुद्रा में हैं।
जिस सिंहासन पर इन प्रतिमाओं को विराजित किया गया है, वह ढाई फीट ऊंचा है। सप्तर्षियों में निषादराज के अतिरिक्त महर्षि वाल्मीकि, गुरु वशिष्ठ, गुरु विश्वामित्र, माता शबरी व माता अहिल्या की प्रतिमा बैठी मुद्रा में हैं।
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