
चंदौसी संभल समाचार
स्टेट बैंक को सोना बेचना पड़ा भारी
उपभोक्ता आयोग ने लगाया 25000 का जुर्माना और साथ ही रखे सोने की कीमत पर दो महीने के अंदर देना होगा 9% वार्षिक का ब्याज
समय से भुगतान न करने पर देना होगा 12% वार्षिक ब्याज
संभल निवासी नवी हसन हाल निवासी दिल्ली ने सम्भल स्थित भारतीय स्टेट बैंक में मां फरवरी 2022 का अपना 49.800 ग्राम 18 पीस सोने की जेवर गिरवी रखकर133600 का ऋण लिया था तीन साल की रिया गया था जिसमें नवी हसन द्वारा समय समय पर किस्तों का भुगतान किया गया परंतु भारतीय स्टेट बैंक शाखा संभल द्वारा गोल्ड लोन लेने के 10 महा के अन्दर ही किस्तों का भुगतान समय से न करने की बात कहकर उनका गिरवी रखा सोना बिना किसी पूर्व सूचना के विक्रय कर धनराशि को ऋण खाते में समायोजित कर लिया बर्ष 2024 में जब नवी हसन को उन जेवरों की आवश्यकता हुई तो वो ऋण की धनराशि अदा कर उन्हें लेने बैंक पहुंचे बैंक पहुंचने पर पता चला कि बैंक द्वारा महा दिसंबर 2022 में ही उनके द्वारा गिरवी रखे सोने को बैंक शाखा द्वारा बेचकर ऋण खाता बन्द किया जा चुका हैं तो उन्होंने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि जब ऋण तीन वर्ष के लिए लिया गया तो समय अवधि पूर्ण होने से पूर्व उनके द्वारा गिरवी रखा गया सोना बिक्रय क्यों किया गया तो बैंक द्वारा कोई सन्तोष जनक जवाब नहीं दिया तब नवी हसन ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से बैंक को नोटिस भी प्रेषित किया परन्तु कोई जवाब बैंक शाखा द्वारा नहीं दिया गया तब नवी हसन ने अपनी सारी बातें उपभोक्ता मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय को बताई उन्होंने उपभोक्ता आयोग में एक परिवाद दायर किया जहां बैंक को आयोग द्वारा तलब किया तो बैंक की ओर से बताया गया कि ऋण की राशि प्रति माह अदा करनी होती हैं और नवी हसन द्वारा नियमित रूप से किस्तों का भुगतान नहीं किया जा रहा था कही ऋण की राशि रखे गए सोने के आभूषण से अधिक न हो जाए इसी कारण उन्हें विक्रय कर धनराशि को ऋण खाते में समायोजित किया गया।
इस बात का विरोध करते हुए लव मोहन वार्ष्णेय एडवोकेट ने आयोग को बताया कि अनुबंध की तय समय सीमा से पूर्व बिना कोई सूचना दिए गिरवी रखे सोने को बेचा गया है जो कि बैंक की सेवा में घोर कमी और लापरवाही को दर्शाता है । उपभोक्ता आयोग ने दोनों पक्षों को सुना और भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष और शाखा प्रबंधक को आदेशित किया कि वे परिवादी के गिरवी रखे स्वर्ण आभूषणों वजन 49.800 ग्राम अथवा बाजार मूल्य मुबलिग 78100रु प्रति 10 ग्राम के हिसाब से 388938 रुपए उस पर परिवाद संस्थन की तिथि से 9% वार्षिक ब्याज सहित अंदर दो माह में अदा करें।
आभूषणों की कुल कीमत में से परिवादी द्वारा पूर्व ऋण खाते में जमा की गई धनराशि को समायोजित करते हुए शेष धनराशि परिवादी को अदा की जाएगी।
इसके अलावा विपक्षीगण परिवादी को मुबलिग 25000 रुपए मानसिक कष्ट व आर्थिक हानि के मद में तथा ₹5000 बाद व्यय के मद में भी अदा करेंगे ।
नियत अवधि में आदेश का अनुपालन न किए जाने की दशा में ब्याज 12% वार्षिक की दर से देय होगा।
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