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बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में आरसीबी की जीत के जश्न में भगदड़ मचने से 11 लोगों की जान चली गई। मुफ्त पास के वितरण की अफवाह के बाद लाखों की संख्या में लोग जमा हो गए थे। पुलिस की चेतावनी के बावजूद कार्यक्रम आयोजित किया गया। आरोप है कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं थे।

बेंगलुरु में चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत के बाद से प्रशासन पर लापरवाही और कुप्रबंधन के आरोप लग रहे हैं। सरकार ने मुआवजे की घोषणा तो कर दी है, लेकिन जवाबदेही तय करने की मांग की जा रही है।

सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर प्रशासन को अंदाजा कैसे नहीं था कि लाखों लोग जश्न में शामिल होने के लिए पहुंचेंगे? इतने बड़े आयोजन की परमिशन बिना पुख्ता व्यवस्था के क्यों दी गई और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षाबलों की तैनाती क्यों नहीं की गई? सवाल कई सारे हैं और इनके जवाब मिलना भी जरूरी है।

स्टेडियम में घुसने की जद्दोजहद

आरसीबी ने 18 साल के लंबे इंतजार के बाद ट्रॉफी जीती थी। जाहिर है कि टीम के साथ फैंस का भी उत्साह चरम पर था। लेकिन हादसे के बाद जीत का जश्न मातम में बदलते देर नहीं लगी। लेकिन इसके संकेत दोपहर से ही मिलने लगे थे। दोपहर से ही स्टेडियम के बाहर लोगों की भीड़ के पास लेने के लिए जुटने लगी थी।

इस दौरान ये बात फैल गई कि टिकट पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर दिया जाएगा। इससे भीड़ अधीर हो गई। कई लोग इस उम्मीद में थे कि टिकट मिले या न मिले, स्टेडियम में किसी तरह एंट्री मिल ही जाएगी। स्टेडियम में एंट्री के लिए ईस्ट गेट खोला गया, जिसमें दो लोग एक साथ मुश्किल से ही घुस सकते थे। लेकिन इस गेट से पूरी भीड़ एक साथ घुसने की कोशिश करने लगी।

चेतावनी के बाद भी आयोजन

  • पुलिस ने पहले ही कार्यक्रम के आयोजन को हाई-रिस्क वाला बताया था। लेकिन बावजूद इसके आयोजन किया गया। लाखों की भीड़ को देखने हुए पुलिस ने विक्टरी परेड को रद करने की जानकारी दी थी। लेकिन बावजूद इसके आरसीबी की तरफ से सोशल मीडिया पर विजय परेड होने और फ्री पास के सीमित होने की जानकारी शेयर की गई।
  • स्टेडियम का गेट खुला और लोगों ने एंट्री के लिए धक्का-मुक्की करनी शुरू कर दी। कतार तो छोड़िए, सारे नियम-कायदे और सिविल अनुशासन ताक पर रख दिए गए। कोई गेट पर चढ़ने की कोशिश करने लगा, कोई बैरिकेड्स को धक्का देने लगा। लोग इस कदर उमड़े थे कि स्टेडियम तो छोड़िए, सड़क पर भी तिल रखने की जगह नहीं बची थी।

स्पष् लापरवाही और कुप्रबंधन

हादसे के बाद भले ही सरकार यह कह रही हो कि कार्यक्रम आनन-फानन में हुआ और तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला, लेकिन कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ ने 3 जून को ही सरकार को पत्र लिखकर कार्यक्रम की अनुमति मांग थी। प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि एंट्री पॉइंट पर भीड़ के टूट पड़ने के कारण भगदड़ मची। क्या प्रशासन के पास वहां इंतजाम कम पड़ गया?

बताया ये भी जा रहा है कि सिटी पुलिस का एक बड़ा हिस्सा विधान सौधा परिसर में तैनात कर दिया गया था, क्योंकि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और राज्यपाल वहां पहुंचने वाले थे। विधान सौधा और स्टेडियम दोनों ही जगह अनुमान से अधिक भीड़ पहुंची, जिससे पुलिस इन्हें नियंत्रित नहीं कर पाई।

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