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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कटड़ा रेलवे स्टेशन से श्रीनगर के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस को रवाना किया है। इससे पहले उन्होंने रियासी में चिनाब ब्रिज का उद्घाटन किया है। इसके साथ ही उन्होंने भारत के पहले केबल-स्टेड अंजी पुल का भी उद्घाटन किया।

जम्मू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कटड़ा रेलवे स्टेशन से श्रीनगर के लिए वंदे भारत को हरी झंडी दिखा दी है। इस तरह अब कन्याकुमारी से कश्मीर रेल मार्ग से जुड़ गया है। पीएम मोदी ने इससे पहले रियासी में मौजूद चिनाब ब्रिज का उद्घाटन किया। यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज है। इस पुल ने कश्मीर तक ट्रेन पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।

चिनाब ब्रिज एक स्टील और कंक्रीट से बना आर्च ब्रिज है। यह रियासी जिले के बक्कल और कौरी गांवों को जोड़ता है। कश्मीर तक रेल कनेक्टिविटी में इसका बड़ा योगदान है। खास बात यह है कि यह ब्रिज कुतुब मीनार से पांच गुना ऊंचा है। इसके साथ ही पेरिस में मौजूद एफिल टॉवर से यह 35 मीटर ऊंचा है।

पीएम मोदी ने चिनाब ब्रिज के बाद भारत के पहले केबल-स्टेड अंजी पुल का भी उद्घाटन किया। कश्मीर तक रेल लाने का सपना उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (USBRL) परियोजना के अंतर्गत पूरा हुआ है। यह प्रोजेक्ट का अंतिम चरण था, जिसके पूरा होने में 70 साल का समय लगा है।

स्कूली छात्रों से की बातचीत

कटड़ा रेलवे स्टेशन से श्रीनगर के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रेन में सवार स्कूली बच्चों से बातचीत भी की। उन्होंने ट्रेन में मौजूद रेलवे कर्मचारियों से भी बातें की। इससे पहले पीएम मोदी चिनाब ब्रिज का निरीक्षण करने के दौरान पुल के पास बने व्यू पॉइंट पर गए, जहां उन्हें अधिकारियों ने परियोजना से जुड़ी जानकारी दी। उनके साथ केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और जितेंद्र सिंह और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी मौजूद रहे।

क्या है USBRL रेल प्रोजेक्ट?

कश्मीर तक ट्रेन लाने के लिए उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक के तहत कार्य किया गया। इसमें दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल चिनाब ब्रिज जो नदी से 359 मीटर ऊंचाई पर है। इसके साथ ही केबल स्टेड अंजी खड्ड पुल भी शामिल हैं। यह ब्रिज 331 मीटर ऊंचाई पर है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना इंजीनियरिंग में एक नया चमत्कार माना गया है।

130 साल का था सपना

कश्मीर तक रेल का सपना, दशकों का नहीं है। बल्कि यह एक सदी से भी पुराना है। महाराजा हरि सिंह के पोते और पूर्व सदर-ए-रियासत कर्ण सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह के मुताबिक, उन्हें गर्व है कि 130 साल पहले डोगरा शासक की योजना आखिरकार साकार हो गई है। यह एक परियोजना थी, जो एक सदी से भी अधिक समय तक अधूरी रही थी। लेकिन अब कश्मीर तक ट्रेन का सपना पूरा हो गया है।

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